" वजूद मेरा हिन्दुस्तानी " Hindi Kavita " by Vipin Dilwarya
" वजूद मेरा हिन्दुस्तानी "
वो दिन भी क्या दिन थे
वो फिजाएं थी निराली
ना ऋतु बदली ना बदला मौसम
फिर कैसे बदल गई हवाएं सुहानी
दिन गुज़रे और सदी बदल गई
बदल गई सोच पुरानी
क्यों भूल गए उन वीरों को
जिन्होंने देश के लिए दी कुर्बानी
हिंदु हो या मुस्लिम
या हो सिख ईसाई
मिट्टी का लाल रंग है
उनके बलिदान की निशानी
बाटकर धर्मो में इंसान को
क्यों रच रहे ऐसी कहानी
इंसान हूं इंसान रहने दो
रहने दो इस देश का वासी
इंसान हूं इंसान रहने दो
रहने दो इस देश का वासी
चंद कागज़ के टुकड़े बताएंगे
कौन बांग्लादेशी कौन पाकिस्तानी
बचपन बीता है इस मिट्टी पर
इस मिट्टी पर बीत गई जवानी
भारत मेरा देश है
है वजूद मेरा हिन्दुस्तानी
By _ Vipin Dilwarya
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