नशे वालो को संभलतें , होश वालों को फिसलते देखा है by Vipin Dilwarya
नशे वालो को संभलतें
होश वालो को फिसलते देखा है
दिल मे बसनें वालो को
मैनें दिल से निकलते देखा है
नशे वालो को संभलतें
और होश वालो को फिसलते देखा है
जो कहते थे हम तो पत्थर दिल है मैनें
हुस्न-ओ-शबाब पर उन्हें भी पिघलते देखा है
बड़ा गुरूर है इन चांद सितारों
पर इस आसमां को मैनें चांद में गृहण
और सितारों को भी आसमां में टूटते देखा है
सावन के महिने में भी जो बादल
नखरें करते है बरसने के लिये उन्ही
बादलों को मैनें बिन मौसम बरसते देखा है
एक एक मोती चुनकर उनको
सहेजकर एक माला बनाई थी उसने
मैनें उस माला को भी टूटकर बिखरते देखा है
आसमां को इस ज़मी पर उतरते देखा है
जो खुद को इस ज़मीं का ख़ुदा समझ बैठे थे
मैनें उस ख़ुदा से उसे भी मौत माँगते देखा है
By _ Vipin Dilwarya
Very nice
ReplyDeleteThank you so much
DeleteGzb 👌
ReplyDeleteThanks bro
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