इश्क़ विश्क प्यार व्यार सबके बस की बात नही by Vipin Dilwarya


इश्क़ विश्क प्यार व्यार                          सबके बस की बात नही


ये इश्क़ विश्क प्यार व्यार सबके बस की बात
नहीं इसमें सब कुछ दाव पर लगाना पड़ता है

एक अपनी मोहब्बत को खुश  करने के लिये
अपनी  खुशियों  को  कुर्बान  करना  पड़ता है

बड़े नाजो से पला, शौक  जिसके  बड़े होते है
एक उसके लिये अपने शौक भूलाना पड़ता है

ये इश्क़ विश्क प्यार व्यार सबके बस की बात
नहीं इसमें सब कुछ दाव पर लगाना पड़ता है

जो कभी  माँ  की  आँखो से ओझल ना हुआ
एक प्यार के लिये उसे दर दर भटकना पड़ता है

जो माँ - बाप की  एक बात को भी ना सुनता
उसके  एक  इशारे पर  उसे  चलना पड़ता है

जो अपने  घर  का  राजा  बेटा होता है , उसे
अपने प्यार के लिये गुलाम बन जाना पड़ता है

ये इश्क़ विश्क प्यार व्यार सबके बस की बात
नहीं इसमें सब कुछ दाव पर लगाना पड़ता है

इज़्जत विज़्ज़त खोकर बदनाम वादनाम होकर
जमाने में उसके लिये बेशर्म बन जाना पड़ता है

एक प्यार मोहब्बत का रिश्ता बनाने के लिये
अपने  सब  रिश्तों  को  तोड  जाना  पड़ता है

अपने चार दिन के प्यार की खातिर भाई बहन
और मां बाप के प्यार को छोड जाना पड़ता है

ये इश्क़ एक ऐसा  मरज है मेरे  दोस्त , इसमें
सब कुछ खोकर अपना ज़मीर मारना पड़ता है

ये इश्क़ विश्क प्यार व्यार सबके बस की बात
नहीं इसमें सब कुछ दाव पर लगाना पड़ता है


By _ Vipin Dilwarya

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