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Showing posts from October, 2019

कौरी किताब मेरी ज़िन्दगी by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

 कौरी  किताब  मेरी  ज़िन्दगी कौरी  किताब  मेरी  ज़िन्दगी शब्दों  की  ज़रूरत  है  मुझे , तु लिख दें मुझ पर कुछ ऐसा मोती जैसे चमके रोशन करदे , हर दिल की चाहत बन जाए कौरी  किताब  मेरी  ज़िन्दगी , मेरी किताब के हर अध्याय में बस तेरी कलम के निशान हो  मेरी किताब  के  हर पन्ने पर तेरी कलम  से  लिखे शब्द हो संवार  दे  शब्द  समूह  से कोरी  किताब  मेरी  ज़िन्दगी By_ Vipin Dilwarya

इस तरह मेरी रूह में बस गई है , हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

 इस तरह मेरी रूह में बस गई है  हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु इस तरह मेरी रूह में बस गई है हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु । भूलकर भी तुझे भुला नहीं सकता तेरी यादों को मिटा नहीं सकता , तु नहीं है पर तु ही है इस ज़िन्दगी में ज़िंदा हूं इसलिए कि मेरी सांस है तु , इस तरह मेरी रूह में बस गई है हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु । बरसो हो गए है तुझसे बिछड़े हुए लगता है जैसे इस पल की बात है , सोचता हूं एक पल ना सोंचू तेरे बारे में  पर मेरे सोचने से पहले मेरी सोच में है तु , भले ही साथ नहीं है तु मेरे पर तेरे संग बिताए हसीन पल मेरे साथ है तेरे बिना ये ज़िन्दगी बिखर सी गई है फिर  भी  मुझे  समेटे  हुए  है  तु , इस तरह मेरी रूह में बस गई है हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु । वो तेरा रूठना मेरा मनाना तेरा शरारत करना मुझे सताना  वो तेरी मोहब्बत तेरा इतराना वो  सारी  बातें  याद  है  मुझे , तेरी बातें ही तो मेरा साया बनकर  मेरे  साथ...

उसका दिल , दिल नहीं एक धर्मशाला थी जो किराए पर मिलती थी by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

    उसका दिल , दिल नहीं एक      धर्मशाला थी जो किराए पर मिलती थी प्यार का दिखावा कर वो दिलों के साथ गेम खेला करती थी उसका दिल , दिल नहीं एक धर्मशाला थी जो किराए पर मिलती थी ये इश्क़ , ये प्यार , ये मोहब्बत , उसके लिए एक मजाक था सोना बाबू बोलकर वो  बस प्यार जताती थी और अगले ही पल बिज़ी बताकर  मुझसे पीछा छुड़ाकर किसी और से मिलने का वादा करती थी प्यार तो उसका एक दिखावा वो दिलों के साथ गेम खेला करती थी उसका दिल , दिल नहीं एक धर्मशाला थी जो किराए पर मिलती थी ऐसा नहीं था कि वो मुझसे प्यार नहीं करती थी वो मुझसे मिलने आती  मुझे प्यार करती  बड़ा दुलार करती थी पर उससे मिलने की खातिर उसकी एक कॉल पर कभी भाई कभी चाचा कभी दोस्त कभी पापा बताकर मुझे छोड़कर चली जाती थी प्यार तो उसका एक दिखावा  वो दिलों के साथ गेम खेला करती थी उसका दिल , दिल नहीं एक धर्मशाला थी जो किराए पर मिलती थी वो मुझसे मिलकर फ्राय डिनर  को बोलती और  उससे मिलकर लोंग ड्राइव  को बोलती थी...

Part - 1 *Dilwarya's Quotes* " by Vipin Dilwarya

           "  *Dilwarya's Quotes* "                         * Part - 1 * * मां - बाप ही ईश्वर     मां - बाप ही भगवान है ,    मां - बाप के बिना     अधूरा हर इंसान है । * मृत्यु का रहस्य कोई नहीं समझ पाया है    मृत्यु क्या है इसे कोन बतलाएगा ,    मृत्यु परम सत्य है    इसे कोन जुठलाएगा  * सोने की कोशिश तो बहुत करता हूं    लेकिन कुछ ख्वाब है जो सोने नहीं देते  * वफा को ढूंढ़ता रहा ज़िन्दगी भर ,    हैरत की बात तो ये है साहेब    वफा तो ना मिली धड़कन ही बेवफा हो गई  * ख्वाहिशें कभी खत्म नहीं होती साहेब    ज़िन्दगी की अंतिम सांस में भी     जीने की ख्वाहिश होती है  * खुशनुमा और हसीन ज़िन्दगी की तलाश में    बढ़ रहे है मौत की ओर जश्नौ के दौर से * कभी ठोकर ना लगे तो खाकर देखो ...

" मेरे देश की मिट्टी कुछ ऐसी है " by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" मेरे देश की मिट्टी कुछ ऐसी है " मेरे देश की मिट्टी कुछ ऐसी है कहीं सर्द हवा , कहीं गर्म हवा कभी पानी में घुलती  तो कभी अग्नि में तपती है , ऊंचे - ऊंचे पर्वत मालाओं से  गंगा ,यमुना ,सरस्वती बहती है , मेरे देश की मिट्टी कुछ ऐसी है कृषि प्रधान है देश मेरा , जय जवान, जय किसान का है देश मेरा  जवानों के बलिदान का है देश मेरा , किसानों के पसीने की खुशबू इस मिट्टी में , जवानों के बलिदानी खून  की खुशबू इस मिट्टी में आती है , किसानों की सांसें मिट्टी से किसानो का दिल है मिट्टी मिट्टी में धड़कन बसती है , बारिश में भीगते ही वो सोंधी - सोंधी खुशबू  महकती है , मेरे देश की मिट्टी कुछ ऐसी है कहीं अडिग होकर ऊंची - ऊंची इमारतों का बोझ सहती है कहीं बंजर तो कहीं  उपजाऊ बन जाती है , मेरे देश की मिट्टी कुछ ऐसी है मन्दिर और मस्जिद दोनों को मेरे देश की मिट्टी रचती है , कभी मस्जिद के आंगन में तो कभी मूर्ति में ढलती है , कब्र मुस्लिम की मिट्टी में बनती  हिंदू को अग्नि मिट्टी के ऊपर...

" लोग ना जाने किस रोग के बीमार बैठे है " by Vipin Dilwarya & lokesh pal

" लोग ना जाने          किस रोग के बीमार बैठे है " लोग ना जाने किस रोग के बीमार बैठे है कितने  चले  गए  , कितने  तैयार  बैठे है , आपनों  से  दूरियां  बना  ली आज कल गैरों  से  बात  करने  को  बेकरार बैठें है , समय   ने     लोगों      को        बदला लोग    खुद     को     बदल   ना   सके , तेजी    से   दौड़कर     निकला   समय घड़ी    के    कांटो    को    छू  ना  सके , भ्रम    में      खुद      को      रख    के दोष     औरों      पे  हमने   लगाए    है , ठगा   किसने   किसको   है  कौने जाने सभी    हाशिए...

" उदास निगाहें " " लोकेश पाल वास्तविक कहानी " by Vipin Dilwarya

   " लोकेश पाल वास्तविक कहानी "                  " उदास निगाहें " दोस्तो यह कहानी मेरे प्रिय मित्र लोकेश पाल के जीवन में घटी वास्तविक कहानी है । और इस कहानी के माध्यम से मुझे एक बहुत अच्छी सीख मिली , और उम्मीद है कि इस कहानी से आप लोगो को भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा  । कहानी को पूरा पढ़े....                                👇👇👇👇                  संसार का नियम है , कि जिसके नसीब में जितना होगा उसको उतना और सही समय मिलेगा जरूर, लेकिन कभी कभी लगता है कि किसी को कुछ मिलने और ना मिलने का कारण हम बन जाते है । आप शायद मेरी बात से सहमत नहीं ना हों लेकिन एक समय की घटना मेरे लिए जीवन का एक बड़ा सबक बन गई ।  सुदर्शन न्यूज में काम करने के दौरान मेरा एक अनुभव मुझे आज तक कचोटता है । नोएडा सेक्टर 57 में स्थित सुदर्शन न्यूज में काम करने के दौरान अकसर मेरा समय सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक होता थ...

"इंतज़ार से लबालब भरा हूं मै तेरा इजहार हूं" हिंदी कविता by Vipin Dilwarya & lokesh pal

"इंतज़ार से लबालब भरा हूं  मै तेरा इजहार हूं" इंतज़ार से लबालब भरा हूं मै  तेरा  इजहार  हूं , एक बार गौर से तो देख मैं  तेरा  सच्चा  प्यार  हूं , बदलते मौसम में हर बार  तेरी याद खलती है मुझे , होली  के  रंगों  में  गुलाल सी तेरी खुशबू  मै दिवाली में जलते  दियों  की  कतार  हूं , इंतज़ार से लबालब भरा हूं  मै  तेरा  इजहार  हूं , एक बार गौर से तो देख मैं तेरा सच्चा प्यार हूं , तेरी बातें मेरा साया  बनकर मेरे साथ चलती है , हर  मोड़  पर  मेरी  उम्मीद तेरी राह तकती है , तुझ बिन जीवन में अधूरा हूं असहाय हूं  , बेकार हूं , इंतज़ार से लबालब भरा हूं मै  तेरा  इजहार  हूं , एक बार गौर से तो देख मैं तेरा सच्चा प्यार हूं , जीवन रूपी किताब के  हर पन्ने पर बस नाम है तेरा , हर अध्याय में जिक्र है तेरा हर पंक्ति में तेरा मुकाम है , शब्दों  की  गहराई  में...

" ऐसे होते हमारे मां - बाप है " हिंदी कविता by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

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" ऐसे होते हमारे मां - बाप है " जितने भी जीव इस धरती पर सबके जीवन का आधार मां - बाप है , स्वार्थी है सब इस धरती पर निस्वार्थ साथ देते बस मां - बाप है , ऐसे  होते  हमारे  मां - बाप  है... वो प्यार ना रहा रिश्ते नातेदारों में प्यार है बस नाम का रह गया बस मतलब का साथ है , बिकता है आज प्यार बाजारों में नहीं बिकता प्यार जिसका वो मां - बाप है ऐसे  होते  हमारे  मां - बाप  है... रात - दिन महनत करते है पूंजी एकत्र की पाई - पाई जोड़कर बच्चो के सपनों को पूरा करते है अपने  ख्वाबों  को  तोड़कर , इच्छाओं को अपनी मार देते है भूख को भी अपनी छुपा लेते है खुद भूखा रहकर हमारी  भूख  को  मिटाते  है , ऐसे  होते  हमारे  मां - बाप  है... कितनी भी कठिनाईयां आए बच्चो का भविष्य बनाते है भले खुद के जीवन में हो अंधियारा बच्चो के जीवन में दीप जलाते है , अच्छे बुरे वक्त में जो साथ होते है वो  सिर्फ  हमारे  मां - बाप है ऐसे  होत...