"इंतज़ार से लबालब भरा हूं मै तेरा इजहार हूं" हिंदी कविता by Vipin Dilwarya & lokesh pal

"इंतज़ार से लबालब भरा हूं
 मै तेरा इजहार हूं"



इंतज़ार से लबालब भरा हूं
मै  तेरा  इजहार  हूं ,
एक बार गौर से तो देख
मैं  तेरा  सच्चा  प्यार  हूं ,

बदलते मौसम में हर बार 
तेरी याद खलती है मुझे ,
होली  के  रंगों  में 
गुलाल सी तेरी खुशबू 
मै दिवाली में जलते 
दियों  की  कतार  हूं ,

इंतज़ार से लबालब भरा हूं 
मै  तेरा  इजहार  हूं ,
एक बार गौर से तो देख
मैं तेरा सच्चा प्यार हूं ,

तेरी बातें मेरा साया 
बनकर मेरे साथ चलती है ,
हर  मोड़  पर  मेरी 
उम्मीद तेरी राह तकती है ,

तुझ बिन जीवन में अधूरा हूं
असहाय हूं  , बेकार हूं ,
इंतज़ार से लबालब भरा हूं
मै  तेरा  इजहार  हूं ,
एक बार गौर से तो देख
मैं तेरा सच्चा प्यार हूं ,

जीवन रूपी किताब के 
हर पन्ने पर बस नाम है तेरा ,
हर अध्याय में जिक्र है तेरा
हर पंक्ति में तेरा मुकाम है ,

शब्दों  की  गहराई  में 
हर अक्षर के साथ तेरे सरोकार हूं ,
इंतज़ार से लबालब भरा हूं 
मै  तेरा  इजहार  हूं
एक बार गौर से तो देख 
मैं  तेरा  सच्चा प्यार  हूं ,

कदमों को अपने रोकने की 
कोशिश तो बहुत की मेने ,
पर ना जाने तेरी और 
क्यों खिंचा चला आता हुं ,
अपनी ही आदत के लिए 
में  खुद  ही  लाचार हूं ,

इंतज़ार से लबालब भरा हूं 
मै  तेरा  इजहार  हूं ,
एक बार गौर से तो देख 
मैं  तेरा  सच्चा  प्यार  हूं ,



___ लोकेश पाल


                                           By__Vipin Dilwarya

x

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )