इस तरह मेरी रूह में बस गई है , हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )
इस तरह मेरी रूह में बस गई है
हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु
इस तरह मेरी रूह में बस गई है
हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु ।
भूलकर भी तुझे भुला नहीं सकता
तेरी यादों को मिटा नहीं सकता ,
तु नहीं है पर तु ही है इस ज़िन्दगी में
ज़िंदा हूं इसलिए कि मेरी सांस है तु ,
इस तरह मेरी रूह में बस गई है
हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु ।
बरसो हो गए है तुझसे बिछड़े हुए
लगता है जैसे इस पल की बात है ,
सोचता हूं एक पल ना सोंचू तेरे बारे में
पर मेरे सोचने से पहले मेरी सोच में है तु ,
भले ही साथ नहीं है तु मेरे
पर तेरे संग बिताए हसीन पल मेरे साथ है
भले ही साथ नहीं है तु मेरे
पर तेरे संग बिताए हसीन पल मेरे साथ है
तेरे बिना ये ज़िन्दगी बिखर सी गई है
फिर भी मुझे समेटे हुए है तु ,
इस तरह मेरी रूह में बस गई है
हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु ।
वो तेरा रूठना मेरा मनाना
तेरा शरारत करना मुझे सताना
वो तेरी मोहब्बत तेरा इतराना
वो सारी बातें याद है मुझे ,
तेरी बातें ही तो मेरा साया बनकर
मेरे साथ चलती है ,
जब तू नहीं है तो तेरी बातों
से ही तो मेरी बात होती है ,
अकेला नहीं हूं मैं इस ज़िन्दगी में
तेरी यादें हर वक्त मेरे साथ खड़ी होती है ।
कल है तु मेरा , मेरा आज भी है तु
हर वक्त , हर पल , मेरे पास है तु ,
मेरा दीन है तु मेरा ईमान है तु
आज भी मैं इज्ज़त हूं तेरी ,
मेरी आबरू है तु ,
इस तरह मेरी रूह में बस गई है
हर पल लगता जैसे , मेरे रूबरू है तु ।
By_ Vipin Dilwarya
Very nice lines
ReplyDeleteThank u 🙏
DeleteBest poem👌👌👌
ReplyDeleteThank u Bhai ji
Delete