Heart broken shayari (1) जब जब जिससे उम्मीद की तब तब टूटकर बिखरा हुँ जख्म भी अब तो मोहब्बत कर बैठा मुझसे तभी तो इतने जख्म लेकर भी खुश दिखरा हुँ (2) ना कर बदनाम यूं ज़माने में एक उम्र लगती है इज़्जत कमानें में इतनी तोहमते ना लगा मेरे ऊपर कि ज़िन्दगी गुज़र जाये खुद को बेकसूर बताने मे (3) भरी महफ़िल उसनें इल्ज़ाम कुछ यूं लगया,,,,,!! मुझको गुनाहगार और ख़ुद को बेकसूर बताया,!! (4) आज कल वफाओं से हिजाब कर रहा हुँ,! उस ख्वाब सी ज़िन्दगी का हिसाब कर रहा हुँ,!! आबाद हुई थी जो उसकी मोहब्बत से ज़िन्दगी,! उस आबाद ज़िन्दगी को बर्बाद कर रहा हुँ,!! हिजाब - पर्दा (5) रहगुज़र हमें मालूम है हमनें ख़ुद ज़िन्दगी दर-बदर की है,,!! मेरी बर्बादी बयां करती है हमनें मोहब्बत किस क़दर की है,,!! (6) ऐ खुशी अब मैं तेरा ना रहा,,,,,,,,,,,,,,,!! मैं नीलाम हो चुका हुँ ग़म के बाज़ार में,,!! (7) एक एक पल फुरक़त में कैसे आगे बढता है,,! और वो कहते है कि हमे क्या फर्क पड़ता है,,!! फुरक़त - वियोग, जुदाई (8) जिस...