" मुकम्मल जहां कहां है " by Vipin Dilwarya


    " मुकम्मल जहां कहां है "



इंसान तो बन गए हम
मगर यहां इंसानियत कहां है

गौरो से तो आज़ाद  हो गए पर
तुच्छ मानसिकता से आजादी कहां है

इस मिट्टी पर जन्में भगतसिंह राजगुरु सुखदेव
तो इस मिट्टी पर जन्में कलाम भी यहां है

सभी का ख़ून शामिल है इस मिट्टी में
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
एक दूसरे से जुदा कहां है

बात करते है कि
ये मेरा नया भारत नया जहां है

ये धर्म , जात पात के गुलाम तो आज भी
है इस जहां में तो ये मुकम्मल जहां कहां है


By_Vipin Dilwarya

Comments

  1. घबराओ नहीं , लोग तुम्हारी नकल कर सकते है
    लेकिन तुम्हारे जैसे नहीं बन सकते
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