समाज के दरिंदे by Vipin Dilwarya
समाज के दरिंदे
बेखौफ घूम रहे है
इस समाज में ऐसे दरिंदे
देश को हुक्मरानों को ये बताना है
नहीं घूम सकती आज भी
बहन , बेटियां जैसे
आसमान में खुले परिंदे
देश के हुक्मरानों को जगाना है
जैसे जलाया है
उन्होंने उस खुले परिंदे को
ऐसे ही उन दरिंदो को जलाना है
By _ Vipin Dilwarya
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