"किस और चला मेरा देश" ( जे. एन. यूं. प्रकरण ) by Vipin Dilwarya
"किस और चला मेरा देश"
उम्मीदें थी क्या
उम्मीदें मेरी टूट गई
भाईचारा भी खत्म हुआ
दिल में भरा है द्वेष
ये किस और चला मेरा देश...2
धर्म के नाम पर टूट गए
दिलों में ज़हर घौल लिया
और नफ़रत रह गई शेष
ये किस और चला मेरा देश...2
दयनीय है यथास्थिति
खौफजदा है मंजर
हिंसा इतनी बढ़ गई
क्यों भाई भाई के सीने में
घौप रहा है खंजर
लाठी डंडे लेकर
बर्बरता का रूप दिखाया
हिंसा को हथियार बनाकर
डर का माहौल बनाया
जम्हूरियत की धज्जियां उड़ गई
शिक्षा मंदिर युद्ध का मैदान बनाया
नकाबपोश थे वो
ना उनका कोई रूप था
ना था उनका कोई भेष
भाईचारा भी खत्म हुआ
और नफ़रत रह गई शेष
ये किस और चला मेरा देश...2
देश का भविष्य युवा
सड़कों पर क्यों उतर रहा
क्या हुआ मेरे देश को
ये तंत्र क्यों बिखर रहा
कौन है वो इंसान
जो नफ़रत के बाजारों में
इंसानियत को बेच रहा
आज बोल उठा मेरा देश
खतरे में है आबरू
चीख चीखकर कह रहा
क्यों खौल रहा है युवा
क्यों जल रहा है मेरा देश
भाईचारा भी खत्म हुआ
और नफ़रत रह गई शेष
ये किस और चला मेरा देश...2
By _ Vipin Dilwarya
👌
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