मैंने हिस्से में बस माँ को माँग लिया ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया
मैंने हिस्से में बस माँ को माँग लिया
ये ज़मीन जायदाद रुपया पैसा
इसने तो रिश्तों को बांट दिया
कमाया किसने ज़िन्दगी भर
और किसने हिस्सो को माँग लिया
निगाहें गडी थी किसी की मकाँ पर
तो किसी ने दुकाँ को माँग लिया
मैं घर में सबसे छोटा था
मैंने हिस्से में बस माँ को माँग लिया
__विपिन दिलवरिया
dil ko chu gyi bhai
ReplyDelete