ज़िन्दगी सिमट रही है ( shayari ) __विपिन दिलवरिया

 

          ज़िन्दगी सिमट रही है 


हर नये  साल के  साथ  ज़िन्दगी  गुजर रही है !

कोन जाने  उम्र  बढ़ रही है या उम्र घट रही है !!


मिलते है  हर  नये  साल  के  साथ  नये तजुर्बे !

तजुर्बे  तो बढ़ रहे है  मगर ज़िन्दगी घट रही है !!


ये दौर भी अजीब है'दिलवरिया'21वीं'सदी का !

तकनिकी  बढ़ रही  पर ज़िन्दगी सिमट रही है !!



__विपिन दिलवरिया   ( मेरठ )


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