Part - 10 - Thoughtfull Shayari __Vipin Dilwarya
Thoughtfull Shayari
(1)
अमीर-ए-शहर है सुनवाई क्या होगी अदालत में !
ग़रीबी गुनाह है जनाब क्या रखा है वकालत में !!
(2)
आसमाँ गुल्ज़ार है मगर परिंदा घबराया है,,!
लगता है उनके घरो पर खतरा मंडराया है,,!!
(3)
एक पल की जान पहचान दूजे पल इज़हार
देख उसका रंग रूप और कर देते है इकरार
इक मुलाकात दिन में और दूजी में हुई रात
ये प्यार नहीं पगली ये है जिस्मों का व्यापार
(4)
घरो में कैद करके
सबके रोजगारों को पेल गया
किसी के अपने ले गया
किसी के सपनों से खेल गया
अजीब था ये साल '2020'
साला '20' , '20' खेल गया
(5)
कम्भक्त ये पांव भी पड़ाव नहीं लेते
किसी डगर पर ये अटकाव नहीं लेते
कोन डगर थमेंगे तेरे पांव"दिलवरिया"
आजकल ये दरख्त भी छांव नहीं देते
(6)
उसनें किया, माना वो छल था
चोट मिली वो गुजरा पल था
कर्म सबके अपने-अपने,,,मुझे
मरहम मिला कर्मों का फ़ल था
(7)
इत्तफाक*बहुत कम लोग रखते है मुझसे
क्योंकि मैं किसी से समझौता नहीं करता
(8)
हम वो नहीं जो जताया करते है,,,,,,,,,,!!
अहसान करके हम भूल जाया करते है,,!!
(9)
हर नये साल के साथ ज़िन्दगी गुजर रही है !
कोन जाने उम्र बढ़ रही है या उम्र घट रही है !!
मिलते है हर नये साल के साथ नये तजुर्बे !
तजुर्बे तो बढ़ रहे है मगर ज़िन्दगी घट रही है !!
ये दौर भी अजीब है'दिलवरिया'21वीं'सदी का !
तकनिकी बढ़ रही पर ज़िन्दगी सिमट रही है !!
(10)
मैंने,,,ख़ुद कष्टो की चारपाई बुनी है,,!!
क्योंकि राह मैंने सच्चाई की चुनी है,,!!
__विपिन दिलवरिया ( मेरठ )
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