सुख की तितली के पीछे मात भागो ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया
सुख की तितली के पीछे मात भागो
सुख की तितली के पीछे मात भागो
ये रोज नये फूलो को चुनती है
भाग्य की लकीरो के पीछे मत भागो
ये रोज नये ख्वाबों को बुनती है
परिश्रम के समंदर से सींचकर एक बागवाँ बनाओं
जहाँ मधुकर चकरी तितलियाँ सब मंडराती है
__विपिन दिलवरिया
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