गज़ल -( " घुटन " ) by Vipin Dilwarya & S P Singh


 "  घुटन "


गिरते हुए आंसुओ ने
मेरे दर्द को कुछ हल्का सा कर दिया ,
तूने पूछ मेरी कहानी ए दोस्त
मेरी इस घुटन को कुछ कम सा कर दिया ।

मतलबी इस दुनिया में कोई अपना नहीं 
जिसपे ऐतबार किया 
उसने ही पराया कर दिया ।

समंदर भी अपनी गहराई में
सब कुछ छुपाकर रखता है ,
उसने मेरे प्यार को 
खेल समझ उजागर कर दिया ।

महफ़िल में गए थे
हम बड़ी शान से उनकी ,
उसने हमें लज्जित कर 
चौकीदार के हवाले कर दिया ।

दिल टूटकर इस तरह बिखरा ,
बेरुखी उसकी देख
जैसे कोई गुनाह कर दिया ।

टूटे दिल के टुकड़ों को जब लगा मैं जोड़ने ,
दिल के टूटे हर टुकड़े ने 
जुड़ने से मना कर दिया ।

गिरते हुए आंसुओ ने 
मेरे दर्द को कुछ हल्का सा कर दिया ,
तूने पूछ मेरी कहानी ए दोस्त
मेरी इस घुटन को कुछ कम सा कर दिया ।

सांस कुछ कह सके ये हालत ना थी ,
प्यार के इस चक्रव्यूह ने मुझे तबाह कर दिया ।

खुदा ना करे 
किसी मोड़ पर उनसे मुलाकात हो ,
उनकी यादों को 
हमने सीने में दफ़न कर दिया ।

हमदर्दी भी अब इस तरह चुभने लगी है ,
जैसे कितने ही कांटों ने ज़ख्म कर दिया ।

उनसे बड़ी चाहत 
तो हमे आंसुओ से हो गई 
उसने तो बस हमें दर्द दिया ,

इन गिरते हुए आंसुओ ने 
मेरे दर्द को कुछ हल्का सा कर दिया ,
तूने पूछ मेरी कहानी ए दोस्त
मेरी इस घुटन को कुछ कम सा कर दिया ।






By_ Vipin Dilwarya
                   &
            S P Singh

Comments

  1. Very nice bro me upender singh

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  2. बहुत अच्छी गजल है भाई जी...

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  3. Bahut khoob bhai
    👌👌👌👌👌👌

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