"" जबसे देखा तुझे "" by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )


 "" जबसे देखा तुझे ""



नींद मेरी उड़ी जबसे देखा तुझे
दिन को सुकून , ना रातो को चैन हैं
लगता है मैं दीवाना हो गया हूं ,
दिल ये मेरा बहुत बेचैन है

जिसे देखता हूं तेरा चेहरा नज़र आता है
खोया रहता हूं तेरे ही ख्यालों में ,
तुझे पाने को जी चाहता है

तेरी एक नजर ने ऐसा हाल कर दिया
रात - दिन ना मुझे करार है
मेरे इस दिल का बुरा हाल कर दिया ,

तुझसे मिलने को मन करता है
तेरी याद मुझे सताती है ,
हर पल तुझे याद करू
तेरी याद मुझे तड़पाती है

नींद मेरी उड़ी जबसे देखा तुझे
दिन को सुकून , ना रातो को चैन हैं
लगता है मैं दीवाना हो गया हूं ,
दिल ये मेरा बहुत बेचैन है

मतलबी सा हो गया हूं
तेरी यादों में खोया रहता हूं ,
जबसे देखा है तुझे
मैं पागल सा हो गया हूं

पल - पल यही सोचता हूं
मैं तेरा हो जाऊं तु मेरी हो जाए
काश ज़िन्दगी की राहों में हम
साथ - साथ चलते जाए

नींद मेरी उड़ी जबसे देखा तुझे
दिन को सुकून , ना रातो को चैन हैं
लगता है मैं दीवाना हो गया हूं
दिल ये मेरा बहुत बेचैन है 





By _ Vipin Dilwarya


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )