छोड़ दी वो राह-ए-मोहब्बत (गज़ल) (shayarai) __विपिन दिलवरिया
छोड़ दी वो राह-ए-मोहब्बत
ना जाने क्यूं खफ़ा मुझसे मेरा ख़ुदा हो गया,,!
शिद्दत से चाहा जिसे वही मुझसे ज़ुदा हो गया,,!!
एक हम है कि हम किसी और के हो ना सके,,!
एकवो है किसी और केसाथ शादीशुदा हो गया,!!
कैसे कह दूँ मैं उसकी मोहब्बत को मुकम्मल,,!
मुझसे किये वादें तोड़कर जो बेजुबाँ हो गया,,!!
मोहब्बत जो की हमनें तो ज़ुर्म हो गया,,!
वो करके बेदाद-ए-इश्क़* बे-गुनाह हो गया,,!!
छोड़ दी वो राह - ए - मोहब्बत मैनें अब,,!
जिन राहों पे "दिलवरिया" गुमशुदा हो गया,,!!
बेदाद-ए-इश्क़ = प्रेम का ज़ुल्म/ अत्याचार
__विपिन दिलवरिया
Jabardast bhai
ReplyDeleteThank you 😊
DeleteThank u bhai😊
ReplyDeletev.good comments
ReplyDeleteThank you so much
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