मैं फ़कत मुस्कुरा देता हुँ ( गज़ल )( शायरी ) __विपिन दिलवरिया

        

        मैं फ़कत मुस्कुरा देता हुँ 



अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना लेता हुँ,!
हौंसलों से  मैं  हालातों  को  गुलाम बना देता हुँ!!

मिज़ाज़  है  मेरा  चुपचाप  सा  रहने का मगर,,!
अपना पयाम*  मैं अपने  कलाम* से  देता  हुँ,!!

चिल्लाकर मैं  दबाऊँ  ये  मेरी  फितरत  नहीं,,!
कुछ जवाब मैं अपनी खमोशियों से दे देता हुँ,!!

मेरे  लहजे  को  वो  मेरा  गुस्सा  समझतें  है,,!
जब गुस्सा आता है  मैं फ़कत मुस्कुरा देता हुँ,!!

यूं तो फसानें खूब  लिखे  हमनें मोहब्बतों के,,!
बात जब ख़ुद की आये तो कलम रोक देता हुँ,!!

उसको लगता  है  उसकी जरुरत  नहीं  मुझे,,!
कैसे कहुँ  उसके बिना मैं अकेले में रो देता हुँ,!!

बयां नहीं  करता  "दिलवरिया" अपनी कहानी,,!
दिल का दर्द जुबाँ पे आने से पहले रोक देता हुँ!!


पयाम - संदेश
कलाम - वचन, उक्ति ,बातचीत


__विपिन दिलवरिया


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