किसे पता था मिट्टी अन्धेरें में जला दी जायेगी ( Justice_For_ManishaValmiki ) ( हाथरस गैंग रेप प्रकरण ) __विपिन दिलवरिया
किसे पता था मिट्टी अन्धेरें में जला दी जायेगी
( Justice_For_ManishaValmiki )
( हाथरस गैंग रेप प्रकरण )
किसे पता था ये घड़ी विकट बन जायेगी
कुछ गन्दी नज़रें मेरे ऊपर तन जायेगी
किसे पता था आबरू लूट ली जायेगी
गला काटकर रीढ की हड्डी तोड दी जायेगी
पहले नोच नोचकर खाया सबने मुझको
किसे पता था बाद जीभ काट दी जायेगी
खूब लड़ी मैं ज़िन्दगी मौत से मगर
किसे पता था ज़िन्दगी , मौत से हार जायेगी
दिन के उजालो में लुटी थी मेरी आबरू
किसे पता था मिट्टी अन्धेरें में जला दी जायेगी
फिर होगी बहस फिर होंगे आरोप प्रत्यारोप
फिर से मीडिया पर जुबानी जंग छिड़ जायेगी
इन्साफ मिले या ना मिले किसको पड़ी है
मगर सारे दलो में सियासी जंग छिड़ जायेगी
कुछ दिन गूंजेगा शोर गलियारों , चौबरों में
फिर होंगे धरने और मोमबत्ती जलायी जायेगी
हौंसले बढ़ते रहेंगे "दिलवरिया" , जब तक
बलात्कारियों को सियासी पनाह दी जायेगी
रुकेंगे नहीं बलात्कार , जब तक लटकाकर
चौराहें पे बलात्कारी को सज़ा नहीं दी जायेगी
लेखक - विपिन दिलवरिया ( मेरठ )
बहुत ही शानदार है विपिन भाई
ReplyDeleteThank you so much
DeleteSuperb dilwariya
ReplyDeleteThank you so much
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