कोरोना काल कहुँ या भुखमरी काल ( आज की परिस्थिती पर एक छोटा सा लेख ) __विपिन दिलवरिया

      

       कोरोना काल कहुँ या भुखमरी काल 



आज हमारा देश कोरोना काल से गुज़र रहा है या कहुँ कि भुखमरी काल से गुज़र रहा है । देश की अर्थव्यवस्था पुर्ण रूप से चरमरायी हुई है, बेरोजगारी आसमान छू रही है युवा वर्ग , मजदूर वर्ग , छोटे और मँझले व्यापारीयों के सब्र का बांध टूट रहा है । अधिकांश कारोबारी अपनी क्षमता से बहुत कम पर संचरित करने पर मजबूर है और इस दौरान बहुत से उद्योग पुर्णबन्दी की मार झेल रहें है  अगर बात की जाये लोगों के रोजमर्रा खर्च की तो वह बरकरार है और आमदनी में बहुत तेजी से गिरावट आई है । इन परिस्थितियों में , एक आम आदमी को दो वक्त की रोटी जुटाना बहुत मुश्किल हो गया है , इसलिये कोरोना काल को भुखमरी काल कहना कोई हैरानी की बात नहीं, हालांकि जब से अनलॉक हुआ है जब से आम जनजीवन को पटरी पर लाने की पूर्णत: कोशिश की जा रही है । भारत के अधिसंख्य लोगों को उनकी क्षमता से कमतर काम करनें के लिये मजबूर है । ऐसे में सरकार को जहां सम्भव हो सके वहाँ रोजगार के अवसरों को बढावा देना चाहिए । अगर ऐसा नहीं किया गया तो दिन - प्रतिदिन असमाजिक गतिविधियां , आपराधिक मामलों में वृद्धि होना स्वाभविक है जिस कारण समाज में असन्तोष अशांति का माहौल बन सकता है । राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए सभी राजनीतिक दलों एवं प्रशाशन को एकजुट होकर सकारत्मक सोच के साथ आत्मचिंतन करना चाहिए । और एक उचित विकल्प खोजना चाहिए , तभी राष्ट्र को पुन: समृद्ध बनाया जा सकता है ।


__विपिन दिलवरिया ( मेरठ )

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