इन्सान कभी ना बनना चाहे ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया
इन्सान कभी ना बनना चाहे
जग में ऊँचा नाम हो जाये,
पर काम कभी ना करना चाहे,,!!
जीतना चाहे मौत से भी,
पर ख़ुद से कभी ना लड़ना चाहे,,!!
सब चाहे क्रांति आये, पर
भगतसिंह कोई ना बनना चाहे,,!!
सबको देशभक्ति
का पाठ पढाये , पर
ख़ुद पासबान भी ना बनना चाहे,,!!
धर्मों की जो लड़ाई लड़ते,
गीता क़ुरान कभी ना पढना चाहे,!!
बनना चाहे हिन्दु मुस्लिम,
पर इन्सान कभी ना बनना चाहे,,!!
चाहता है बस पुण्य कमाए,
पर दान कभी ना करना चाहे,,!!
वधु चाहिये सबको
सीता जैसी "दिलवरिया"
पर ख़ुद राम कभी ना बनना चाहे,!!
__विपिन दिलवरिया
Nice comments 🚩🚩
ReplyDeleteThank you ji
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