आग़ाज़ ( शायरी ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
आग़ाज़
जरुरी है आग़ाज़ होना चाहिये
कल नहीं आज होना चाहिये
डोल जाये उसका शासन
ऐसा हमारा गाज होना चाहिये
जो भी करना पड़े करो मगर
मेरे सर पे वो ताज़ होना चाहिये
डूब जाये सूरज अब मंजूर नहीं
हर तरफ़ मेरा राज होना चाहिये
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
मेरठ , उत्तर प्रदेश
Na hi damdaar likhar hai
ReplyDeleteBahut hi shandaar hai
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