सब कुछ यहाँ बेतरतीब हो गया ( शायरी ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
सब कुछ यहाँ बेतरतीब हो गया
किस्सा-ए-मोहब्बत अजीब हो गया
सब कुछ यहाँ बेतरतीब हो गया
जो था मेरे सबसे करीब यहाँ
कम्भख्त वही मेरा रक़ीब हो गया
सब कुछ लुटा दिया जिसके लिये
वो कहकर छोड़ गया कि तू गरीब हो गया
क्या लिक्खा है मेरी तक़दीर में ए ख़ुदा
तू ही बता 'गाज़ी' क्यों इतना बेनसीब हो गया
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
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