साहित्य विकास मंच को समर्पित कविता __कवि गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
*साहित्य विकास मंच*
मंच को कवियों का प्रणाम होना चाहिये
मंच पर काव्य का गुणगान होना चाहिये
शतकवीर हुआ है आज *साहित्य विकास मंच*
आज *मंच के कवियों* का सम्मान होना चाहिये
सब का अपना-अपना किरदार होता है
काव्य सृजन के लिये कवि हक़दार होता है
कवियों के काव्य पाठ से बढ़ता है काव्य सृजन
काव्य मंच का ऊँचा मस्तक कलमकार से होता है
ना रुके ये *कारवां* यूं ही चलता चला जाये
साहित्य का ये सिलसिला बढ़ता चला जाये
सब का स्वागत करता है *काव्य प्रगति कुन्ज*
नव युवा कवियों को राह दिखाता चला जाये
नमन करता है 'गाज़ी' *साहित्य विकास मंच* को
ये मंच यूं ही दरिया की तरह बहता चला जाये
*__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '*
*मेरठ , उत्तर प्रदेश*
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