सूरत-ए-हालात ना होने दिया ( गज़ल ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
सूरत-ए-हालात ना होने दिया
रुबरु उनको सूरत-ए-हालात* ना होने दिया,
बादल छाये रहे मगर बरसात ना होने दिया
ढूँढते रहे वो महफ़िल - महफ़िल मगर,
मुन्कशिफ़* तल्ख़ी-ए-हालात* ना होने दिया
हिज़्र* में उनकी नागवार गुजरी हर रात,
ज़ाहिर उनको जज़्बात ना होने दिया
कोशिशे तो बहुत की ज़माने ने मगर,
मंसूबो को उनके आबाद ना होने दिया
मेरे दुश्मन चले थे हाथ बढाने उस ओर,
हमने किसी को इल्तिफ़ात* ना होने दिया
खूब टटोला उसनें मेरे दिल की अलमारी को,
मेरी मुस्कराहट ने गमों से बात ना होने दिया
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
तल्ख़ी-ए-हालात - स्थिति की कडवाहट
मुन्कशिफ़ - जाहिर , व्यक्त होना
सूरत-ए-हालात - परिस्थितियों की स्थिति
हिज्र - जुदाई
इल्तिफ़ात - मित्रता
Nic
ReplyDeleteSuperb 👌
ReplyDeleteGazab bhai
ReplyDeleteसुन्दर
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