छूट गया तेरा हाथ माँ ( हिन्दी कविता ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
छूट गया तेरा हाथ माँ
अब तेरे बिना जीना पड़ेगा माँ
तेरे जैसा प्यार कौन करेगा माँ
सर से तेरा साया छूट गया
अब मेरे कष्टो को कौन हरेगा माँ
ज़र्रे-ज़र्रे में तू है ,
मेरे साथ है तेरी हर बात माँ
सब कुछ मेरे पास है,
पर छूट गया तेरा हाथ माँ
तुम बिन घर ये सूना,
अब सूना पड़ा ये आँगन माँ
घर नहीं ये मकान है,
जबसे छूट गया तेरा गात माँ
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
गात - शरीर
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