Part - 14 - Thoughtfull Shayari __Ghazi Acharya ' Ghazi '
Thoughtfull Shayari
(1)
माना सलीका उनका गलत था,,,,,,,,,,!
मगर लफ्ज़ो में उनके फिक्र छुपी थी,,!!
(2)
कह दो इन दरियाओं से कि अपनी औकात में रहे
वरना समन्दर बनने में हमें भी वक्त नहीं लगता
(3)
स्टेटस का दौर है साहब
शुद्ध विचार और ज्ञान का भण्डार
लोगो के अन्दर कम
उनके स्टेटस पर ज्यादा मिलता है
(4)
एक हक़िक़त सामने आई जब उनसे राब्ता हुआ,,!
ख़ुद से ख़ुद का नाता ना रहा जब से वो रास्ता हुआ,,!!
(5)
देखो आज वो शाम आई
मेरे हिस्से खुशियाँ तमाम आई
एक माँ का दामन छूटा तो
अपनी बाहें पसारे धरती माँ आई
ज़मींदारी लेकर आई मेरी शहीदी,
आज दो गज़ ज़मीं मेरे नाम आई
खुशकिस्मत हुँ मैं वतन तेरे लिये,
मेरे ज़िस्म की मिट्टी काम आई
(6)
गुजरते दिन मैं कंगाल हो गया
मानो मेरे सर से एक-एक बाल कम हो गया
मैं जश्न मनाऊं या शोक, आज
मेरी ज़िन्दगी का एक और साल कम हो गया
(7)
ज़िन्दगी गुज़र गयी ज़द्दोज़हद में
चंद लमहात चाहिये सुकूँ के लिये
(8)
जहाँ लोग मरने की सोचते है
वहाँ हम कुछ करने की सोचते है
(9)
संस्कारों की यहाँ पौध लगाई
जिसनें जगाई किस्मत सोई
माँ की समता नहीं किसी से
माँ जैसा यहाँ और ना कोई
(10)
टुकड़ा भारत के दिल का जा रहा है,,!
कोई रोको आज मिल्खा जा रहा है,,,!!
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
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