आँखों पर पट्टी बाँधकर बैठे है ( हिन्दी कविता ) __ विपिन दिलवरिया
आँखों पर पट्टी बाँधकर बैठे है
आँखों पर पट्टी बाँधकर बैठे है
पढ़ लिखकर गवांर बन बैठे है
सही गलत की पहचान कैसे हो
मानसिक गुलाम जो बन बैठे है
गुलामियत खून में है उन लोगों के जो
देशभक्त के नाम पे अंधभक्त बन बैठे है
हिन्दु मुस्लिम भाईचारे की बात करते है
फिर क्यो हिन्दु मुस्लिम चिल्लातें है
भाईचारे की मिसाल देते है जो
वही धर्म के ठेकेदार बन बैठे है
राजनीति का कोई धर्म नहीं है
नफ़रत उन लोगों से है जो
धर्म के नाम पे नेता बन बैठे है
गाय नाम पर राम नाम पर
बस राजनीतिक रोटी सेकतें है
नफ़रत उन लोगों से है जो
गाय नाम पे व्यपार कर बैठे है
सही को सही गलत को गलत
कहने की हिम्मत रखता हुँ मैं
सपा,बसपा , भाजपा से मतलब
नहीं मुझे,नफ़रत उन लोगो से है
जो गाय के दलाल बन बैठे है
बात ना कर भगवे रंग और प्रभु राम की
भगवा रंग , प्रभु राम मेरे खून में बहते है
नफ़रत उन लोगो से है जो राजनेता
इनके नाम पे देश के गद्दार बन बैठे है
__विपिन दिलवरिया
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