Part - 7 - Thoughtfull Shayari __ Vipin Dilwarya
Part - 7 - Thoughtfull Shayari
(1)
सहरा तरस रहा है
ये बादल है कि
समंदर पे बरस रहा है
(2)
उस्ताद नहीं हुँ मानता हुँ
मगर जैसे को तैसा
समझाना बखूबी जानता हुँ
(3)
पढ़ के देख मुझको समझ लेगा
मेरे शब्दों में तु ख़ुद को पा लेगा
(4)
शायरी का एक दौर जा रहा है
राहत नहीं पूरा इन्दौर जा रहा है
(5)
जीस्त-ए-शायरी का खाज़ाना जा रहा है!!
कोई रोको राहत का ज़नाज़ा जा रहा है!!
(6)
तेरे मज़कूर लफ्ज़ तुझे आबाद रखेगी,,!!
ये दुनियाँ है जब तक तुम्हें याद रखेगी,,!!
(7)
सुख़न से महरूम रह गयी वो महफ़िल,,,,!!
जिसमें शहर के सारे सुख़नवर शामिल थे.!!
(8)
बुढ़ापा है नज़र धुंधला गई आँखों की
पतझड़ है इसमें क्या ख़ता शाख़ों की
(9)
किसे सुनाऊँ मैं अपनी कहानी
किसी के पास वक्त नहीं...
एक कलम कुछ पन्ने बस लिख
लेते है जज़्बात और कुछ नहीं...
__विपिन दिलवरिया
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