वो सौदा करते रहे आसूँओं का ( गज़ल ) ( Shayari ) __ Vipin Dilwarya


वो सौदा करते रहे आसूँओं का



दरिया       एक       दो       किनारें   है,
हम इस  पार   वो   उस  पार  बुलारें  है

बड़ा  रौब   है   उनके   लहज़े  में  मगर,
वो जुगनू  तो  हम  फ़लक  के सितारें है

खता तो  बड़ी कर  बैठे मोहब्बत करके, 
संगदिल  है  वो  जिसपे हम दिल हारें है

मोहब्बत  भी  इस  कदर  की  है  उनसे,
वो  शादीशुदा  हम  आज  भी  कुवांरे है

इश्क़  की  बाज़ी  तो  यूं  जीत  गये  वो,
नामालूम है , वो  जीते  नहीं  हम  हारें है

वो सौदा करते  रहे  आसूँओं  का मगर,
एक हम  है  उनके  लिये आँसू बहारें  है

रह-ए-इश्क़ कुछ टुकडें इस कदर बिखरें 
है , वो टूटे  दिल के  सब  टुकडें हमारें है

तेरा ग़म कम है ज़मानें भर "दिलवरिया" 
यहाँ सब तेरे ग़म से ज्यादा ग़म कमारें है


__विपिन दिलवरिया 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )