वो सौदा करते रहे आसूँओं का ( गज़ल ) ( Shayari ) __ Vipin Dilwarya
वो सौदा करते रहे आसूँओं का
दरिया एक दो किनारें है,
हम इस पार वो उस पार बुलारें है
बड़ा रौब है उनके लहज़े में मगर,
वो जुगनू तो हम फ़लक के सितारें है
खता तो बड़ी कर बैठे मोहब्बत करके,
संगदिल है वो जिसपे हम दिल हारें है
मोहब्बत भी इस कदर की है उनसे,
वो शादीशुदा हम आज भी कुवांरे है
इश्क़ की बाज़ी तो यूं जीत गये वो,
नामालूम है , वो जीते नहीं हम हारें है
वो सौदा करते रहे आसूँओं का मगर,
एक हम है उनके लिये आँसू बहारें है
रह-ए-इश्क़ कुछ टुकडें इस कदर बिखरें
है , वो टूटे दिल के सब टुकडें हमारें है
तेरा ग़म कम है ज़मानें भर "दिलवरिया"
यहाँ सब तेरे ग़म से ज्यादा ग़म कमारें है
__विपिन दिलवरिया
nice line bhai.... 😄😄😄😄
ReplyDeleteThank u bhai
DeleteNice
ReplyDeleteThank u
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