मेरे ख़याल मेरे लहज़े में नहीं ( Shayari ) __विपिन दिलवरिया
मेरे ख़याल मेरे लहज़े में नहीं
कुछ मतले कुछ किस्से
कहानियों में मिलते हैं...
कुछ फ़लसफ़े होश में नहीं
मदहोशियों में मिलते हैं...
ढूँढता रहा वो जवाब
दूनियाँ के शोर में,
कुछ जवाब शोर में नहीं
सरगोशियों में मिलते हैं...
इतना आसाँ नहीं मेरे
ख़यालों से रूबरू होना,
मेरे ख़याल मेरे लहज़े में नहीं
खमोशियों में मिलते हैं...
__विपिन दिलवरिया
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